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Rog Nivaran Sookt – निरोग-विद्या

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Rog Nivaran Sookt sachinkmsharma December 15, 2024

Rog Nivaran Sookt

रोगनिवारण सूक्त का पाठ ऋग्वेद एवं अथर्ववेद में उपलब्ध होता है। अथर्ववेद में पठित इस सूक्त का छन्द अनुष्टुप, सूक्त के द्रष्टा ऋषि सन्ताति तथा देवता चन्द्रमा एवं विश्वेदेव हैं।

ऋग्वेद के इस रोग निवारण सूक्त में पठित मन्त्रों के ऋषि भरद्वाज, कश्यप, गौतम, अत्रि, विश्वामित्र, यमदग्नि तथा महर्षि वशिष्ठ हैं। ये ऋषि क्रमशः दिये हुए सूक्तों के हैं, तथा सूक्त के देवता विश्वेदेव हैं।

रोगनिवारणसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-

  • इन सूक्तों के जप, पाठ अथवा हवन से असाध्य रोगों का शमन होता है ।
  • विपरीत कर्म परायण व्यक्ति भी इस सूक्तपाठ से, निषिद्ध कर्मों का परित्याग कर सन्मार्ग पर आ जाता है। 
  • सस्वर उच्चारण किये गये मन्त्रों की ध्वनि से वातावरण पवित्र होता है और रोगकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • मन्त्र पाठ से प्रसन्न मरुद्गण रोगी व्यक्ति की सर्वथा रक्षा करते हैं।
  • इस सूक्त के पाठ एवं हवन से घर में सुख शान्ति की वृद्धि तथा क्लेशों से मुक्ति होती है।

रोगनिवारणसूक्त  पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
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