दीर्घायु प्रदान करने वाले इस सूक्त का पाठ अथर्ववेद की पैप्पलाद शाखा में उपलब्ध होता है , इस सूक्त के मन्त्रद्रष्टा ऋषि पिप्पलाद हैं। इन मन्त्रों के द्वारा देव ऋषि, नदी, समुद्र, गन्धर्व आदि से दीर्घायु की प्रार्थना की गयी है।
दीर्घायुष्यसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-
- इन मन्त्रों का पाठ पारायण एवं हवन प्रजा (पुत्र) प्राप्ति एवं धन समृद्धि के लिए भी किया जाता है।
- आयुष्यसूक्त पाठ से इन्द्र, सूर्य, वरुण, कुबेर आदि देवता भी प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
- ऋषियों की कृपा प्राप्त होने के साथ ही अन्न, धन आदि की निरन्तर प्रचुरता बनी रहती है।
- सूक्त के पारायण तथा हवन से असाध्य रोग भी निवृत्त हो जाते हैं।
- उत्तम कान्ति, ओज, तेज आदि की प्राप्ति हेतु भी मन्त्र पारायण एवं हवन अत्यन्त उपयोगी होता है।
- जन्मदिवस या अन्य किसी भी माङ्गलिक उत्सव में इन दीर्घायुष्य सूक्त का पाठ एवं हवन, बालक अथवा बालिका या वयोवृद्ध आदि की दीर्घायु की प्राप्ति के साथ ही परम अभ्युदय की प्राप्ति भी कराता है।
- वंश परम्परा के लिए यह सूक्त परम कल्याणकारी है।
दीर्घायुष्यसूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि