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औषधीय-सूक्त , पाठ एवं हवन – निरोग-विद्या

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औषधीय-सूक्त , पाठ एवं हवन sachinkmsharma December 15, 2024

औषधीय-सूक्त , पाठ एवं हवन

ओषधि सूक्त का पाठ ऋग्वेद में उपलब्ध होता है। इस सूक्त के ऋषि अथर्वण – भिषक् तथा देवता ओषध  हैं। मन्त्र के द्वारा प्रतिपाद्य को ही देवता कहा जाता है। आर्ष वाङ्मय में औषधियों को देवता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। जिस प्रकार सूर्य आदि देवता हमें जीवन देते हैं उसी प्रकार ओषधियाँ भी जीवन दायिनी एवं कल्याणकारिणी होती हैं। आरोग्य लाभ एवं दीर्घायुष्य की प्राप्ति कराने वाली ओषधियाँ देववत् ही पूज्य मानी गयी हैं। जिस प्रकार माता अपने शिशु का पालन पोषण कर उसे हृष्ट-पुष्प बनाती है, उसी प्रकार ओषधियाँ भी रोग निवारण के साथ ही प्राणी को शक्ति सम्पन्न बनाती हैं। इन सूक्तों का विनियोग असाध्य रोगों के निवृत्ति के लिए किया जाता है।

       देवों की सृष्टि से पूर्व ही औषधियों का प्रादुर्भाव स्वीकार किया गया है, साथ ही औषधियों की अनन्त शक्ति सम्पन्नता का भी वर्णन किया गया है। जिस प्रकार युद्धस्थल में घोडियाँ योद्धा की सहायता कर उसे आपत्ति से मुक्त करती हैं, उसी प्रकार पुष्पित एवं फलित औषधियाँ प्राणी को रोगों  से मुक्ति दिलाकर शक्तिसम्पन्न बनाती हैं। वैदिक वाङ्‌मय मे औषधियों के प्रति चेतनवत् व्यवहार किया है। अतएव औषधियों से राक्षसी बाधा का भी विनाश करने की प्रार्थना कि गयी है। 

ओषधिसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-

  • इन सूक्तों के विधिवत् पाठ या हवन करने या कराने से अवरुद्ध धन भी सहज भाव से प्राप्त हो जाता है।
  • औषधियों को निष्कृति नाम से सम्बोधित किया गया है, क्योंकि ये शरीर को दूषित करने वाले रोगों का नि:सारण (निकालने)करने वाली होती हैं।
  • इन मन्त्रों के पाठ एवं हवन से, औषध प्रभाव युक्त होकर, द्रुत गति से रोगी के रोगों का शमन करती है।
  • यमपाश के बन्धन से मुक्ति कराने वाला यह दिव्य औषधि सूक्त है।
  • औषधियों के राजा चन्द्रमा हैं। अतः इनके पाठ एवं हवन से चन्द्रदेव भी प्रसन्न होकर सर्व सुख प्रदान करते हैं।
  • इस सूक्त में पठित मन्त्रों से अभिमन्त्रित औषधि अत्यधिक लाभकारी होती हैं तथा प्राणी मात्र की उपकारिका औषधियां ही हैं।

ओषधिसूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
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