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निरोग-विद्या – आयुष्टे शरद: शतम्

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Nirog-vidya sachinkmsharma February 6, 2020

शरीर की प्रकृति को जानने का आयुर्वेदिक तरीका

Ayurvedic Approach To Know Your Nature (click here) 

रोग-निवारणार्थ पाठ एवं हवन

रोग के शमन हेतु, औषधियों के प्रभाव को सकारात्मक एवं विशेष प्रभावशाली बनाने हेतु, हमारे द्वारा व्यक्ति की कुंडली के विश्लेषण एवं रोग के आधार पर तत्संबंध्य सूक्त का पाठ एवं हवन श्रेष्ठ ब्राह्मण द्वारा कराया जाता है। जिससे रोग एवं मारक ग्रह शांत होते है, व्यक्ति को दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ साथ औषधिया भी पूर्ण एवं सकारात्मक प्रभाव डालती है। इस कर्म से अकाल मृत्यु योग का सर्वथा नाश हो जाता है, दीर्घायुता प्राप्त होती है। इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

पाठ एवं हवन 

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    दीर्घायुष्यसूक्त पाठ एवं हवन
        दीर्घायु प्रदान करने वाले इस सूक्त का पाठ अथर्ववेद की पैप्पलाद शाखा में उपलब्ध होता है...
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    औषधीय-सूक्त , पाठ एवं हवन
    ओषधि सूक्त का पाठ ऋग्वेद में उपलब्ध होता है। इस सूक्त के ऋषि अथर्वण - भिषक् तथा देवता ओषध  हैं।...
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    Rog Nivaran Sookt
    रोगनिवारण सूक्त का पाठ ऋग्वेद एवं अथर्ववेद में उपलब्ध होता है। अथर्ववेद में पठित इस सूक्त का छन्द...
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